Saturday, June 27, 2015

अब तो दिल करता है तांडव हो जाए

बेहयाई जब हद से बढ़ जाए
बेशर्मी सर पे चढ़ जाए
तब तू कर लेना
किनारा रे पथिक
जो बोयेगा सो काटेगा
नकटा बीच बाजार नाचेगा
इक सरूपणखा का नाक कटा था
तो रामायण हो गई
रावण की लंका न जाने कहाँ खो गई
राम मंदिर बन गया
अब योग स्थल बाकी है
दिन में धर्मात्मा रात में साकी है
कितनी मैली हो गई
अब वर्दी खाकी है
इस देश का भविष्य नज़र आ रहा है
सोच कर के कलेजा मुंह को आ रहा है
जी बहुत घबरा रहा है
सारा देश पछता रहा है
नमो नमो पार्वती
ओम नमो शिवाय
अब तो दिल करता है
तांडव हो जाए
औ सृष्टी रचयिता
मेरे मौला, मेरे ब्रह्मा
नारद को बुलाओ
विष्णु तक
कोई सन्देश पहुँचाओ
अल्लाह को भी बुलाओ
पूछो.....
क्या अभी क़यामत आने में
कोई कसर बाकी है
कब धरती फटेगी
कब होगा अंत
कहाँ गए
वो भारत के संत
जिन्होंने मर्यादा बनाई थी
बनाई ही नहीं निभाई थी
जिन के बल पर देश महान था
सोने की खान था
विज्ञानं,
धर्म, मर्म,
कर्म,शर्म
सब-में अग्रणी था
सब को बुलाओ
कोई ताबीज बनवाओ
इस देश की नज़र उतरवाओ

Thursday, June 26, 2014

राजद्रोही, राष्ट्रद्रोही,शंकराचार्य के खिलाफ जनहित याचिका दायर होनी चाहिए Human Rights विरोध में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) में मुक़्क़दमा चलाया जाना चाहिए

राजद्रोही, राष्ट्रद्रोही,शंकराचार्य के खिलाफ जनहित याचिका दायर होनी चाहिए इसने भारत संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार धर्मनिश्पेक्षता को भी चोट पँहुचाई है

राजद्रोही, राष्ट्रद्रोही,शंकराचार्य के खिलाफ जनहित याचिका दायर होनी चाहिए इसने भारत संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार धर्मनिश्पेक्षता को भी चोट पँहुचाई है अत: मानवाधिकार आयोग में भी इसके खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए

राष्ट्र गान की पंक्तियाँ ...
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ,
सभी भारती  भाई भाई

तो अगर भाई भाई एक ही नाम से अपना धर्म निर्वहन करना चाहें तो इसमें धर्म को क्या आप्पत्ति है परन्तु शंकराचार्य को है
वो नहीं चाहता कि शिर्डी में कोई हिन्दू भाई जा कर अगर अपने धर्म  का निर्वहन करते हुए राम शब्द का प्रयोग करे क्योंकि शायद शिडी वाले बाबा मुसलमानों के पीर या पैगम्बर थे  इस इस से हिन्दू मुस्लिम भाई भाई को अलग करने के षड्यंत्र की बू आती है

राम शब्द का प्रयोग तो गुरु ग्रन्थ साहिब में भी अनेकों बार हुआ है इस प्रकार तो फिर यदि आपत्ति की गई तो गुरुग्रंथ साहिब को भी शायद नए सिरे से लिखना पड़ेगा क्योंकि यदि शिडी बाबा अवतार नहीं थे तो गुरुनानक भी अवतार नहीं थे और अवतार या भगवान को मानने वाले ही राम शब्द का प्रयोग, जाप व् ड्रम के रूप में प्रयोग कर सकते हैं

कहीं  यह देश के विभिन्न समुदायों, समाजों, सम्प्रदायों में फूट डालने की साजिश तो नहीं
आज शिर्डी को मानने वालों को हिंदुत्व से अलग करने का प्रयास हो रहा है कल जैन, आर्य , ईसाई, परनामी, बुद्ध, राधास्वामी,सच्चा सौदा को भी हिनू ना मानते हुए और इन समुदायों के गुरुओं को भगवान न मानते हुए इन को भी कहा जाएगा कि वो राम की पूजा ना करें, राम शब्द का प्रोग ना करें जबकि इन ऊपरवर्णित सभी समुदायों के धर्म ग्रंथों में अनेकों बार राम शब्द का प्रयोग हुआ है.

क्या आज तक  कोई भी  किसी भाषा पर अपना अधिकार सिद्ध कर सका है या कर सकता है .
क्या कोई भी भाषा किसी की बपौती हो सकती है
क्या किसी भी धर्म,, राष्ट्र,समुदाय ने जब से सृष्टी  बनी है आज तक किसी को किसी भाषा का मालिक होने का अधिकार दिया है ?

क्या पूरे विश्व में कहीं भी किसी भी भाषा को सीखने पर आज तक कोई पाबंदी लगी है ?

यदि  नहीं तो इसका सीधा साधा सा अर्थ है कोई भी मानव चाहे किसी भी देश का नागरिक हो, किसी भी धर्म का अनुयायी हो या मानने वाला  हो किसी भी भाषा को सीख  सकता है, बोल सकता है प्रयोग कर सकता है. और  जब भाषा के मामले में यह मौलिक अधिकार पूरी दुनिया के मानवों के लिए सिद्ध हो गया ओ इसके सीधा साधा सा अर्थ यह भी हो जाता है कि भाषा के शब्द भी कोई भी मानव किसी भी रूप में प्रयोग करने को स्वतंत्र है, क्योंकि भाषा को  अभिव्यक्त  करने का इस के अतरिक्त कोई भी उपाय  नहीं..तो शंकराचार्य किसी विशेष शब्द के प्रयोग  जैसे "राम" पर पाबंदी लगाने वाला कौन होता है ? क्या किसी संस्था, सरकार, राष्ट्र या समुदाय ने कोई ऐसा अधिकार किसी भी युग या काल में उसे दिया था ? यदि नहीं तो क्या ये पूरे विश्व के मानवाधिकारों का हनन नहीं.

इस अपराध के लिए क्या इस धूर्त शंकराचार्य पर Human Rights विरोध  में  संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) में मुक़्क़दमा नहीं चलाया जाना चाहिए ?

Sunday, June 15, 2014

में एक ऐसे समाज का हिस्सा हूँ जिसमे नारी को गाय गंगा गोदावरी
माना जाता है
.
में एक ऐसे समाज का हिस्सा हूँ जिसमे माँ बहन और बेटियों
को पूजा जाता है
.
में एक ऐसे समाज का हिस्सा हूँ जिसमे लक्ष्मी पार्वती और सीता
नारी में वास करती है
.
में एक ऐसे समाज का हिस्सा हूँ जिसमे नारी बचाने के लिए
आदमी अपनी जान तक दे देता है
.
परन्तु आज वो समाज कहाँ है और वो हिस्सा कहाँ है
.
जो अपने समाज की नारी की इज्ज़त को पल पल लूट रहा है
.
ऐ खाकी और सफ़ेद पोशाख वालों शर्म करो
.
दिल्ली तुमारी अपनी है उसमे रहने वाली माँ बहन बिटिया अपनी है
.
समय रहते बचालो अपने घर की इज्ज़त को
.
वरना वो दिन दूर नही जब कोई दरिंदा आयेंगा
.
तुम्हारे सामने तुम्हारी माँ बहन को नोच खायेगा
.
और तुम हाथ में डंडा सर पे टोपी होने के बाद भी कुछ कर नही पायेगा
.
जब भी दखेगा तू आईना तो शर्म से अपनी सूरत देख के मर जायेगा
.
और कहेगा या मेरे मोला ये दिन भी तुमने दिखा दिये मुझको
.
शर्म करो ऐ दिल्ली वालों अब तो कुछ करने की बारी आई है .
.
दिखा दो तुम्हारे हाथों में चूड़ी नही है
.
एक बहन की राखी बांध ने वाली कलाई है ...............

मेरे बेटे की शादी ...निमंत्रण पत्र

ये कैसी माया है 
आपके ही कुछ 'लगते' की शादी में 
आपको बुलाया है 

कार्यक्रम सोचने व् 
निमंत्रण का फ़र्ज़ निभाया है 

वैसे आप कोई 'और' नहीं जो आपको बुलाया जाए 
और ना ही कोई गैर हो
जो भुलाया जाए 

आपका का सवयम का समारोह है
आप को निमंत्रण देना खल रहा है

मगर रस्मो रिवाज़ है
जो सदियों से चल रहा है

आपके अपने समारोह में शामिल होना
आपका धर्म है
धर्म ही नहीं फ़र्ज़ है

फिर भी फरियाद है
दरकिनार ना करना
समारोह के समय पर
और मसरूफियतों को
शुमार मत करना

आपके बिन
आपका आसन सूना खलेगा
बिन आपके दूल्हा
घोड़ी कैसे चढ़ेगा

इसलिए याद रखना
समय पर पहुंच जाना
देर मत करना
देर कर के मत सताना
बंधी है हाथ पे सब के घड़ियाँ मगर,


पकड़ में एक भी लम्हा नहीं...!
सब सो गए सुकून से 
अपना हाल-ए-दिल सुना कर
अफ़सोस किसी ने पूछा नहीं 
कि मैं क्यूँ सोया नहीं..

मयखाने गया ; तब जाकर दिखे इन्सान.

नफरतों का असर देखो,
जानवरों का बटंवारा हो गया,
गाय हिन्दू हो गयी ;
और बकरा मुसलमान हो गया.

मंदिरो मे हिंदू देखे,
मस्जिदो में मुसलमान,
शाम को जब मयखाने गया ;
तब जाकर दिखे इन्सान.